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Surya Grahan - 21 June 2020 | ग्रहण की संपूर्ण जानकारी |


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Published on Jun 26, 2020
Surya Grahan 21 June 2020 Time in India [सूर्य ग्रहण भारत में समय] 21 जून (रविवार) को होने वाला सूर्यग्रहण सम्पूर्ण भारत सहित एशिया अफ्रीका के अधिकांश भाग दक्षिण-पूर्वी यूरोप तथा ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी भाग में दिखेगा । यह ग्रहण उत्तर भारत के कुछ भागों में कंकणाकृति और अधिकांश भारत में खंडग्रास दिखेगा । गत वर्ष 26 दिसम्बर के सूर्यग्रहण के पूर्व ‘ऋषि प्रसाद’ में उस ग्रहण-संबंधी जो भविष्यवाणी प्रकाशित की गयी थी कि ‘इससे भारी उलटफेर होगा…’ उसकी सत्यता उसके पश्चात् काल में और अभी भी देखने को मिल रही है । इस वर्ष 21 जून को होनेवाला सूर्यग्रहण भी भारी विनाशक योग का सर्जन कर रहा है । यह देश व दुनिया के लिए महा दुःखदायी है । इस योग से पृथ्वी का भार कम होगा । पूज्य बापूजी ने वर्षों पूर्व सत्संग में संकेत कर दिया था कि ‘‘आसुरी वृत्ति की सफाई का समय आ रहा है दैवी वृत्ति की नींवें पड़ रही हैं । कुछ समय बाद सफाई होगी फाइटर भागेंगे उड़ेंगे ।’’ स्थान ग्रहण प्रारंभ(सुबह) स्थान ग्रहण प्रारंभ(सुबह) ग्रहण समाप्ति(दोपहर) Ahmedabad 10.03 से 01.33 तक Delhi 10.20 से 01.49 तक Surat & Nashik 10.09 से 01.33 तक Guwahati 10.47 से 02.25 तक Jodhpur 10.08 से 01.37 तक Lucknow 10.26 से 01.49 तक Bhopal 10.14 से 01.48 तक Raipur 10.25 से 02.00 तक Jammu 10.21 से 01.42 तक Chandigarh 10.22 से 01.48 तक Ranchi & Patna 10.36 से 02.10 तक Kolkata 10.46 से 02.18 तक Bhubaneswar 10.37 से 02.10 तक Chennai 10.22 से 01.42 तक Bengaluru 10.12 से 01.32 तक Hyderabad 10.14 से 01.45 तक Nagpur 10.17 से 01.51 तक Mumbai 10.00 से 01.28 तक स्थान ( विदेशों में ) ग्रहण प्रारंभ ग्रहण समाप्ति Kathmandu (Nepal) सुबह 10.53 से दोप. 01.25 तक Athens (Greece) सुबह 07.48 से सुबह 09.12 तक Baku (Azerbaijan) सुबह 08.46 से दोप. 11.05 तक Hagatna (USA) शाम 05.25 से शाम 06.51 तक Nairobi (Kenya) सुबह 06.46 से सुबह 09.04 तक Dubai सुबह 08.14 दोप. 11.13 तक Hong Kong दोप. 02.36 से शाम 05.25 तक ग्रहण से होनेवाले दुष्प्रभावों से मानव-समाज को बचाने के लिए ब्रह्मवेत्ता महापुरुष पूज्य बापूजी ने न केवल अपने सत्संगों के माध्यम से शास्त्रों में वर्णित करणीय व अकरणीय बातें जन-जन तक पहुँचायी हैं बल्कि ग्रहण के समय जप साधन-भजन आदि की व्यवस्था भी अपने आश्रमों में करवायी है । पूज्य बापूजी के असंख्य शिष्य भक्त सत्संगी अपने-अपने घरों में भी पूज्यश्री के मार्गदर्शन-अनुसार इस समय नियम-पालनपूर्वक साधन-भजन करते हैं । सूर्य ग्रहण में क्या करना चाहिए [Do’s on Solar Eclipse June 2020] पूज्य बापूजी के निर्देशानुसार रविवार ( 21 जून ) को सूर्य ग्रहण के समय गुरुमंत्र और “ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः ।” इन दो मंत्रों का जप करना है । (यदि गुरुमंत्र नहीं लिया है तो इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप करें व पूज्य बापूजी के आगमन पर दीक्षा अवश्य लें |) भगवन्नाम-जप न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है। “ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः ।” (पद्म पुराण) यह मंत्र सूर्योपासना हेतु पावन व पुण्यदायी मंत्र है | अश्रद्धालु नास्तिक व विधर्मी को यह मंत्र नहीं फलता । यह तो भारतीय संस्कृति के सपूतों के लिए है । बच्चों की बुद्धि बढ़ानी हो तो पहले इस मंत्र की महत्ता बताओ उनकी ललक जगाओ बाद में उनको मंत्र बताओ । यह सूर्यदेव का मूलमंत्र है । इससे तुम्हारा सूर्यकेन्द्र सक्रिय होगा । और यदि भगवान सूर्य का भ्रूमध्य में ध्यान करोगे तो तुम्हारी बुद्धि के अधिष्ठाता देव की कृपा विशेष आयेगी । बुद्धि में ब्रह्मसुख ब्रह्मज्ञान का सामर्थ्य आयेगा । ग्रहण के समय गायों को घास पक्षियों को अन्न जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है। ग्रहण को बिल्कुल ना देखें व बाहर ना निकलें। सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर श्रेष्ठ साधक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके ‘ ॐ नमो नारायणाय’ मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी लें। ऐसा करने से वह मेधा (धारणाशक्ति) कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है । भगवान वेदव्यास जी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- ‘सामान्य दिन से सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।’ ग्रहण के पहले का बनाया हुआ अन्न ग्रहण के बाद त्याग देना चाहिए लेकिन ग्रहण से पूर्व रखा हुआ दही या उबाला हुआ दूध तथा दूध छाछ घी या तेल – इनमें से किसी में सिद्ध किया हुआ अर्थात् ठीक से पकाया हुआ अन्न (पूड़ी आदि) ग्रहण के बाद भी सेवनीय है परंतु ग्रहण के पूर्व इनमें कुशा डालना जरूरी है । ग्रहण का कुप्रभाव वस्तुओं पर न पड़े इसलिए मुख्यरूप से कुशा का उपयोग होता है । इससे पदार्थ अपवित्र होने से बचते हैं । कुशा नहीं है तो तिल डालें । इससे भी वस्तुओं पर सूक्ष्म-सूक्ष्मतम आभाओं का प्रभाव कुंठित हो जाता है । तुलसी के पत्ते डालने से भी यह लाभ मिलता है किंतु दूध या दूध से बने व्यंजनों में तिल या तुलसी न डालें । ग्रहण के सूतक से पूर्व गंगाजल पियें ।
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