कई बार साधक अपने पुराने उद्दंड स्वभाव को गुरु सान्निध्य में भी बनाये रखते हैं । परंतु करुणामूर्ति गुरुदेव साधक के ऐसे स्वभाव को नखरों और मान-अपमान को सहकर भी शिष्य का कल्याण ही चाहते हैं ताकि जन्मों से भटका हुआ जीव निजस्वरूप में जग जाये । भक्त वामा खोपा के जीवन में भी कुछ ऐसे ही अवगुण थे बावजूद इसके किस तरह गुरु अपनी कृपा बरसाते ही रहते हैं सुनिये इस कथा से...